मोको कहाँ ढूँढे बंदे मैं तो तेरे पास में
ना मैं देवल ना मैं मस्जिद ना काबे कैलास में
ना तो कौन क्रिया-कर्म में नहीं जोग-बैराग में
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं पल-भर की तलास में
कहै 'कबीर' सुनो भाई साधो सब साँसन की साँस में
O SERVANT, where dost thou seek Me ?
Lo ! I am beside thee.
1 am neither in temple nor in mosque : I am neither in Kaaba nor in Kailash : Neither am I in rites and ceremonies, nor in Yoga and renunciation. If thou art a true seeker, thou shalt at once see Me :
thou shalt meet Me in a moment of time. Kabir says, " O Sadhu ! God is the breath of all breath."
कबीर म्हणतो, "सब सॉंसन की सॉंसमें" साधुजनहो, मी तर सगळ्या श्वासांच्या श्वासात आहे. केनोपनिषदाचा श्लोक आहे
श्रोत्रस्य श्रोत्रं मनसो मनो यद्
वाचो ह वाचं स उ प्राणस्य प्राणः ।
चक्षुषश्चक्षुरतिमुच्य धीराः
प्रेत्यास्माल्लोकादमृता भवन्ति ॥ २॥ केनोपनिषद
जे धीर हे जाणतात की प्राणाचा प्राण कोण आहे ते अमृतत्वास प्राप्त होतात.
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