१. मोको कहाँ ढूँढे बंदे मैं तो तेरे पास में

             मोको कहाँ ढूँढे बंदे मैं तो तेरे पास में 

            ना मैं देवल ना मैं मस्जिद ना काबे कैलास में 

            ना तो कौन क्रिया-कर्म में नहीं जोग-बैराग में 

                    खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं पल-भर की तलास में 

                    कहै 'कबीर' सुनो भाई साधो सब साँसन की साँस में

O SERVANT, where dost thou seek Me ?

Lo ! I am beside thee.

1 am neither in temple nor in mosque : I am neither in Kaaba nor in Kailash : Neither am I in rites and ceremonies, nor in Yoga and renunciation. If thou art a true seeker, thou shalt at once see Me :

thou shalt meet Me in a moment of time. Kabir says, " O Sadhu ! God is the breath of all breath."

कबीर म्हणतो, "सब सॉंसन की सॉंसमें" साधुजनहो, मी तर सगळ्या श्वासांच्या श्वासात आहे. केनोपनिषदाचा श्लोक आहे

श्रोत्रस्य श्रोत्रं मनसो मनो यद्
    वाचो ह वाचं स उ प्राणस्य प्राणः ।
चक्षुषश्चक्षुरतिमुच्य धीराः
    प्रेत्यास्माल्लोकादमृता भवन्ति ॥ २॥ केनोपनिषद
जे धीर हे जाणतात की प्राणाचा प्राण कोण आहे ते अमृतत्वास प्राप्त होतात.

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